उल्फत का अकसर यही दस्तुर होता है
जिसे चाहो बही अपनों से दूर होता है
दिल टूटकर बिखरता है
इस कदर जैसे कोई कांच का किलोना चुर चूर
होता है
हर आदत पे चौक जाने की आदत हो गयी है
तेरे इश्क में ऐ वेवफा हिज्र की रातो के संग हमको
भी जागते रहने की आदत हो गयी है ...
जिसकी चोट पर हमने सदा
💔💔💔💔💔💔💔💔💔
मरहम लगाए
हमारे वास्ते फिर
उसने नये कंजर मगाए
भुला देंगे हम अपना गम सारा
मिला दे रब जो हमको तुमसे दोबारा
तेरी ख़ूबसूरती की तारीफ में क्या लिखू
कुछ खूबसूरत शब्दो की अभी तलाश है ...मुझे
जिनके दिल बहुत अच्छे होते है
💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝
अक्सर किस्मत उनकी ही
💔💔💔💔💔💔💔💔💔💔
ख़राब होती है .
उल्फत का अकसर यही दस्तुर होता है
जिसे चाहो बही अपनों से दूर होता है
दिल टूटकर बिखरता है
इस कदर जैसे कोई कांच का किलोना चुर चूर
होता है
Nice
ReplyDelete